लोककथा संग्रह
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रोंगीत और रोंगनू: सिक्किम की लोक-कथा
सिक्किम में विवाह के समय गाये जाने वाले गीतों में रोंगीत और रोंगनू/तीस्ता की कथा गाई जाती है।
रोंगीत और रोंगनू महान प्रेमी थे। दोनों रहते थे पहाड़ पर। एक बार उन्होंने पहाड़ से नीचे आने का निर्णय लिया। वे कंचनजंघा पर्वत से आशीर्वाद लेकर नीचे उतर चले।
रोंगीत पक्षी पर सवार हुआ। और रोंगनू साँप पर। रोंगनू के साँप ने घुमावदार रास्ता लिया और पेसोक नामक जगह पर वह पहले पहुँच गई। वहाँ वह रोंगीत का इन्तजार करने लगी। रोंगीत को उसके तेज उड़ने वाले पक्षी ने भटका दिया। वह ऊपर-नीचे होता रहा। वह वहाँ समय पर नहीं पहुँच सका।
लोकगीत में तो यह भी है कि पुरुष होने के कारण वह प्रेमिका रोंगनू को पेसोक में पहले पहुँचा देखकर थोड़ा दुखी हो गया। रोंगनू/तीस्ता ने रोंगीत को बड़ी देर तक मनाया और कहा कि उसके देर से आने में उसकी कोई गलती नहीं है और न उसकी ही कोई गलती है कि वह जल्दी आ गई।
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साभारः लोककथाओं से साभार।